प्रिय विद्यार्थियों, इस पोस्ट में लघुसिद्धांतकौमुदी के बहुविकल्पीय प्रश्न ; Laghusidhantkaumudi ke MCQs है। जो मुख्यतः दिल्ली विश्वविद्यालय के परास्नातक संस्कृत के तृतीय सत्र 3rd Sem से संबंधित है तथा संस्कृत की विविध प्रतियोगी परिक्षाओं NET JRF, TGT PGT तथा विश्वविद्यालय स्तरीय परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।
1. कृत्यसंज्ञक प्रत्यय किन अर्थों में होते है –
क). भावकर्म में
ख). कर्ता में
ग). वैदिकप्रयोग में
घ). कहीं भी नहीं
2. कृत्यल्युटो ।
क). अव्ययम्
ख). बहुलम्
ग). विभाषा
घ). कर्तरि
3. ‘ धातोः(3.1.91) ‘ इस सूत्र का अधिकार किस अध्याय तक जाता है?
क). तृतीय अध्याय के परिसमाप्ति तक ।
ख). पञ्चम अध्याय के परिसमाप्ति तक ।
ग). चतुर्थ अध्याय के परिसमाप्ति तक ।
घ). द्वितीय अध्याय के परिसमाप्ति तक ।
4. सुबन्त का सुबन्त के साथ समास करने वाला विधि सूत्र है –
क). सुबामन्त्रिते पराङ्वत्स्वरे
ख). समर्थः पदविधिः
ग). सह सुपा
घ). सुपः
5. परार्थाभिधान होती है –
क). सर्वनाम
ख). वृत्ति
ग). सूत्र
घ). वाक्य
6. तेनतुल्यं चेद्वतिः ।
क). गुणः
ख). द्रव्यम्
ग). क्रिया
घ). बहुलम्
7. निर्मक्षिकम् इस पद में प्रातिपदिक है –
क). मक्षिकः
ख). मक्षिकन्
ग). मक्षिकम्
घ). मक्षिका
8. ‘ अधिगोपम् ‘ यदि प्रथमा विभक्ति एकवचन है तो इसका चतुर्थी विभक्ति द्विवचन होगा –
क). अधिगोपाभ्याम्
ख). अधिगोपेभ्यः
ग). अधिगोपम्
घ). अधिगोपाय
9. एतिस्तुशास्वृदृजुषः क्यप् (3.1.109) सूत्र में कितनी धातुओं से क्यप् प्रत्यय का विधान किया गया है?
क). एक
ख). चार
ग). छः
घ). सात
10. लोक में प्रयुक्त होने वाला विग्रह कहलाता है –
क). अलौकिक
ख). लौकिक
ग). वैदिक
घ). अवैदिक
11. जराया जरश्च वार्तिक का कार्य है –
क). अव्ययीभाव में जरस् को जरस् आदेश करना ।
ख). अव्ययीभाव में जरा को जरस् आदेश करना ।
ग). अव्ययीभाव में जरस् को जरा आदेश करना ।
घ). अव्ययीभाव में जरा को जरा आदेश करना ।
12. नस्तद्धिते (6.4.144) इस सूत्र का कार्य है –
क). तद्धित परे रहते नकारान्त भसञ्ज्ञक के टिभाग को नकारादेश करना ।
ख). तद्धित परे रहते नकारान्त भसञ्ज्ञक का लोप करना ।
ग). तद्धित परे रहते नकारान्त भसञ्ज्ञक को नकारादेश करना ।
घ). तद्धित परे रहते नकारान्त भसञ्ज्ञक के टिभाग का लोप करना ।
13. तद्धितप्रकरण में प्रकृतिजन्यबोधे प्रकारो होता है –
क). भावः
ख). क्रिया
ग). तुल्यम्
घ). प्रत्ययः
14. कृत्यसञ्ज्ञक प्रत्ययों का अधिकार जाता है –
क). पूरे तृतीय अध्याय तक ।
ख). ण्वुल्तृचौ सूत्र तक ।
ग). ङ्याप्प्रातिपदिकात् ।
घ). तद्धित प्रत्ययों तक ।
15. तेनतुल्यं क्रिया चेद्वतिः (5.1.115) सूत्र में तेन का अर्थ है –
क). तृतीया विभक्त्यन्त पद
ख). विकृत अङ्गवाचक पद
ग). सहशब्दयुक्त पद
घ). सम्प्रदानवाचक पद
16. व्यृद्धि का अर्थ होता है –
क). वृद्धि
ख). ऐश्वर्याभाव
ग). ऐश्वर्याधिक्य
घ). अभाव
17. उपसर्जनसञ्ज्ञा होती है –
क). समास में द्वितीया विभक्ति से निर्दिष्ट
ख). समास में प्रथमा विभक्ति से निर्दिष्ट
ग). समास में तृतीया विभक्ति से निर्दिष्ट
घ). समास में चतुर्थी विभक्ति से निर्दिष्ट
18. समासप्रकरण में यथा के कितने अर्थ है –
क). एक
ख). चार
ग). छः
घ). सात
19. नदीभिश्च (2.1.20) इस सूत्र में नदी पद का अर्थ है –
क). जलप्रवाहवाचक
ख). व्याकरणपरक नदी सञ्ज्ञा
ग). किसी स्त्रीविशेष का नाम
घ). तीनों नहीं
20. तद्धिताः (4.1.75) इस सूत्र का अधिकार क्षेत्र है-
क). पञ्चम अध्याय के प्रथम पाद तक
ख). पञ्चम अध्याय के द्वितीय पाद तक
ग). पञ्चम अध्याय के तृतीय पाद तक
घ). पञ्चम अध्याय के चतुर्थ पाद तक
21. झय् प्रत्याहार के अन्तर्गत परिगणित नहीं है –
क). क
ख). ख
ग). ग
घ). ह
22. अनश्च (5.4.108) सूत्र ‘ अनः ‘ से तात्पर्य है –
क). जो नकार से भिन्न हो
ख). जो अन् अन्त वाला हो
ग). जो नकारान्त वाला हो
घ). जो नकार से भिन्न न हो
23. बहुल कितने प्रकार का होता है ?
क). एक
ख). दो
ग). तीन
घ). चार
24. ‘ वागर्थाविव ‘ इस पद में समास हुआ है –
क). अव्ययीभाव सूत्र से
ख). इवेन समासो विभक्त्यलोपश्च वार्तिक से
ग). सह सुपा सूत्र से
घ). एकदेशविकृतम् अनन्यवत्भवति परिभाषा से
25. वृत्ति में परिगणित नहीं है –
क). सनाद्यन्तधातुरुप
ख). कृदन्त
ग). तिङन्त
घ). तद्धितान्त
26. विग्रह कहलाता है –
क). वृत्तेर्योऽनर्थः तस्यावबोधकं वाक्यं विग्रहः
ख). वृत्तेर्योऽर्थः तस्यावबोधकं वाक्यं विग्रहः
ग). वृत्तेर्योऽर्थः तस्याबोधकं वाक्यं विग्रहः
घ). वृत्तेर्योऽर्थः तस्यावबोधकं वाक्यं निग्रहः
27. समर्थः पदविधिः किस प्रकरण से सम्बन्धित है –
क). कारक प्रकरण
ख). कृदन्त प्रकरण
ग). तद्धित प्रकरण
घ). समास प्रकरण
28. लघुसिद्धांतकौमुदी के अनुसार समास कितने के होते है ?
क). द्विधा
ख). पञ्चधा
ग). त्रिधा
घ). चतुर्धा
29. आचार्य पाणिनि ने किस समास का नामकरण नहीं किया ?
क). तत्पुरुष
ख). बहुव्रीहि
ग). केवल
घ). द्विगु
30. कृत् प्रत्यय होते है –
क). कर्म में
ख). भाव में
ग). क्रिया में
घ). कर्ता में
31. कृत्य प्रकरण में असरुप अपवाद प्रत्यय उत्सर्ग सूत्र का विकल्प से बाधक होता है । वह सूत्र है –
क). तयोरेव कृत्यक्तखलर्थाः
ख). कृत्याः
ग). वासरुपोऽस्त्रियाम्
घ). कृत्यल्युटो बहुलम्
32. एतिस्तुशास्वृदृजुषः क्यप् (3.1.109) किन सूत्रों का अपवाद सूत्र है –
क). अचो यत् , ऋहलोर्ण्यत्
ख). कृत्याः , कर्तरि कृत्
ग). धातोः ,कृत्यल्युटो बहुलम्
घ). अनश्च , तद्धिताः
आशा है कि आपको लघुसिद्धांतकौमुदी के बहुविकल्पीय प्रश्न ; Laghusidhantkaumudi ke MCQs उपयोगी और जानकारीपूर्ण लगा होगा। यदि अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अपने मित्रों और विद्यार्थियों के साथ साझा करें, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें। यदि इसमें किसी प्रकार की त्रुटि हो गई हो या आपका कोई प्रश्न हो, या आपको कोई सुधार या सुझाव देना हो, तो कृपया नीचे कमेंट में अवश्य बताएं। आपके सुझाव हमारे लिए अत्यंत मूल्यवान हैं।
ऐसी ही उपयोगी जानकारी और मार्गदर्शन के लिए जुड़े रहें boks.in के साथ आपका सहयोग और विश्वास ही हमारी प्रेरणा है।
इसे भी पढ़ें –