प्रिय विद्यार्थियों, इस पोस्ट में वेद , बृहद्देवता के बहुविकल्पीय प्रश्न ; Ved Brihaddevta ke MCQs है। जो मुख्यतः दिल्ली विश्वविद्यालय के परास्नातक संस्कृत के तृतीय सत्र 3rd Sem से संबंधित है तथा संस्कृत की विविध प्रतियोगी परिक्षाओं NET JRF, TGT PGT तथा विश्वविद्यालय स्तरीय परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।
1. आचार्यसायण के अनुसार पर्जन्यसूक्त में प्रणव का विशेषण है –
क). द्योतमान
ख). शब्दमान
ग). गतिमान
घ). बलमान
2. पर्जन्यसूक्त का ऋषि है –
क). विश्वामित्र
ख). वशिष्ठ
ग). गृत्समद
घ). काण्व
3. आचार्यसायण के अनुसार पर्जन्यसूक्त में ‘स्तरीः’ इस पद का अर्थ है –
क). निवृतप्रसवा गौ
ख). स्तरीयपदार्थ
ग). पर्जन्य
घ). वशिष्ठ
4. आचार्यसायण के अनुसार पर्जन्यसूक्त में पिता कौन हैं ?
क). चन्द्र
ख). अग्नि
ग). वरुण
घ). द्युलोक
5. आचार्यसायण के अनुसार पर्जन्यसूक्त में ‘ विरप्शम् ‘ पद का अर्थ है –
क). अप्सु
ख). अग्नि
ग). पर्जन्य
घ). ऋषि
6. मण्डूकसूक्त का ऋषि है –
क). वशिष्ठ
ख). गृत्समद
ग). मधुछन्दा
घ). काण्व
7. आचार्य सायण के अनुसार मण्डुकसूक्त में ‘अख्खलीकृत्य ‘ शब्द का अर्थ है –
क). खलवाचक
ख). शब्दानुकरण
ग). पर्जन्य
घ). अग्नि
8. बृहद्देवता में स्तुतिपरकमन्त्र में किसकी गणना नहीं है ?
क). आयु
ख). नाम
ग). रूप
घ). बान्धव
9. बृहद्देवता का मङ्गलाचरण है –
क). नमस्कारात्मक
ख). वस्तुनिर्देशात्मकं
ग). आशीर्वादात्मकं
घ). नमस्कारात्मक, वस्तुनिर्देशात्मकं
10. बृहद्देवता का प्रमुखतः सम्बन्ध है –
क). सामवेद
ख). अथर्ववेद
ग). ऋग्वेद
घ). यजुर्वेद
11. ‘ प्रथमो भजते तु आसम् ‘ इस पद्यांश में‘ आसाम् ‘ पद है –
क). इदम् (स्त्रीलिङ्ग) षष्ठी, बहुवचन
ख). इदम् (पुल्लिङ्ग) षष्ठी, बहुवचन
ग). इदम् (नपुंसकलिङ्ग) षष्ठी, बहुवचन
घ). इदम् (स्त्रीलिङ्ग) पञ्चमी, बहुवचन
12. बृहद्देवता के अनुसार अल्पतरा ऋचा है –
क). आशीर्वादात्मिका
ख). स्तुतिवादात्मिका
ग). स्वर्गयाचनपरकात्मिका
घ). आयुयाचनपरकात्मिका
13. सम्पूर्णमृषिवाक्यं तु ……….. इत्यभिधीयते –
क). ऋषिः
ख). मन्त्रः
ग). सूक्तं
घ). देवता
14. बृहद्देवता के अनुसारं सूक्त का प्रकार है –
क). एक
ख). दो
ग). तीन
घ). चार
15. ‘ गर्भमोषधीनाम् ‘ ऐसा विशेषण है –
क). पर्जन्य
ख). वायु
ग). मण्डुक
घ). अग्नि
16). पर्जन्सूक्त में प्राप्त “मयः” इसका तात्पर्य है –
क). दुःख
ख). सुख
ग). पर्जन्य
घ). वृषभ
17. “संवत्सरं शशयाना ब्राह्मणा व्रतचारिणः।
वाचं पर्जन्यजिन्वितां प्र मण्डूका अवादिषु॥”
प्रस्तुतमन्त्रे छन्दोऽस्ति –
क). त्रिष्टप्
ख). अनुष्टुप्
ग). जगती
घ). उष्णिक्
18. ‘ मायुः ‘ पद का अर्थ है –
क). अध्वर्यु
ख). पृश्नि
ग). शब्द
घ). गौ
19. निघण्टु में “पुरू” इसका वर्णन प्राप्त होता है –
क). बाहुनाम
ख). बहुनाम
ग). गोनाम
घ). वाङ्गनाम
20). अध्वर्यु नामक याज्ञिक किस वेद का होता है –
क). सामवेद
ख). ऋग्वेद
ग). अथर्ववेद
घ). यजुर्वेद
21. आचार्यसायण के अनुसारं जुगुपुः इस पद की धातु क्या है ?
क). गम्लृ गतौ
ख). गुपू रक्षणे
ग). गुप व्याकुलत्वे
घ). गुप गोपने
22. आचार्यसायण के अनुसार ‘पृश्निः ‘ शब्द का अर्थ है –
क). पृश्निवर्ण
ख). आदित्य
ग). शब्द
घ). गौ
23. बृहद्देवता के आरम्भ में किसको नमस्कार किया गया है ?
क). अग्नि को
ख). परब्रह्म को
ग). मन्त्रद्रष्टा ऋषि को
घ). इन्द्र को
24. प्रत्येक मन्त्र में प्रयत्नपूर्वक किसको जानने का प्रयास करना चाहिए।
क). ऋषि को
ख). छन्द को
ग). देवता को
घ). विनियोग को
25. बृहद्देवता के प्रथम श्लोक में आए समाम्नाय पद का अर्थ है –
क). यजुर्वेद
ख). निघण्टु
ग). निरुक्त
घ). ऋग्वेद
26. कर्म कितने प्रकार के होते है –
क). एक
ख). चार
ग). तीन
घ). दो
27. बृहद्देवतानुसार मन्त्र कितने प्रकार के है?
क). एक
ख). चार
ग). तीन
घ). दो
28. ऋषि के सम्पूर्ण वाक्य को कहते है –
क). मन्त्र
ख). श्लोक
ग). अध्याय
घ). सूक्त
29. देवता, छन्द, अर्थ व ऋषि की दृष्टि से किसमें विविधता होती है?
क). मन्त्र
ख). वेद
ग). वेदाङ्ग
घ). सूक्त
30. तत्वदर्शी ऋषियों द्वारा किसका कथन हो जाता है ?
क). आशीर्स्तुति मन्त्र का
ख). छन्द का
ग). अध्याय का
घ). शाखा का
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